पश्चिमी यूपी ना बन जाए किसान आंदोलन का केंद्र, भाजपा नेताओं को डर- योगी सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं

By | January 31, 2021

नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर किसान संगठन के प्रदर्शनों को नया बल मिल चुका है। गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद कई किसान लौटने लगे थे, हालांकि इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की किसानों को गाजीपुर बॉर्डर खाली करने की चेतावनी काम नहीं आई और भाकियू नेता राकेश टिकैत के रोने के बाद भावनात्मक रूप से उनसे जुड़े पश्चिमी यूपी के लोगों ने दिल्ली की तरफ कूच करना शुरू कर दिया। टिकैत के आह्वान पर दो दिन पहले ही मुजफ्फरपुर में महापंचायत का भी आयोजन हुआ था। इसससे अब माना जा रहा है कि किसान प्रदर्शनों को मिला बल यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।

गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के बड़ी संख्या में जुटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पहले ही ऑल-पार्टी मीटिंग में कहा था कि वे किसानों से एक टेलिफोन कॉल ही दूर हैं। पीएम ने कानूनों को डेढ़ साल रोकने के कृषि मंत्री के वादे को भी दोहराया था। खुद भाजपा सरकार के एक मंत्री ने माना था कि योगी आदित्यनाथ सरकार की गाजीपुर में पुलिसबल के जरिए धरनास्थल को खाली कराने की कोशिश उल्टी पड़ गई।

गौरतलब है कि मोदी सरकार गाजीपुर प्रदर्शनस्थल पर हुई घटना से पहले कृषि कानून के खिलाफ हो रहे विरोध को पंजाब और हरियाणा तक सीमित मान रही थी। लेकिन टिकैत के आंसू बहाने के बाद अब आंदोलन की आग पश्चिमी यूपी तक फैल गई है। भाजपा में कई नेताओं ने डर जताया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश आने वाले समय में किसान आंदोलन का केंद्र बन सकता है, जो कि योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए मुश्किल पैदा करेगा।

इसकी एक वजह यह है कि 2014 से लेकर 2019 तक भाजपा ने यूपी के जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी में जबरदस्त सीटें हासिल की हैं। अपनी हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि की वजह से भाजपा ने इस क्षेत्र में मजबूत कही जाने वाली रालोद के बड़े नेताओं को भी हरा दिया था। लेकिन अब कृषि कानूनों पर विरोध प्रदर्शन के बाद भाजपा नेताओं को डर है कि जाट समुदाय को दोबारा अपनी तरफ लाना नामुमकिन भी साबित हो सकता है।

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