रमज़ान का चाँद होते ही नमाज़ व तरावीह को मस्जिदों में पहुचे लोग

By | April 4, 2022

ब्यूरो चीफ़ आरिफ़ मोहम्मद कानपुर

दो साल बाद रमज़ान के महीने में रोजेदार व तरावीह पढ़ेंगे मस्जिद में

रमजान का चांद नजर आते ही चारों तरफ मुबारकबाद का सिलसिला शुरू हो गया रमज़ानुल पाक मुबारक महीने का इस्तक़बाल के साथ रात में नमाजियों से मस्जिदें भर गई वहीं कोविड में लगभग पूरे 2 वर्ष के बाद सामूहिक रूप से तरावीह की नमाज के लिए जनसैलाब जुटा नमाज के बाद सभी लोग पहले रोजे की सहरी की तैयारी में भी जुटे मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, सिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास और काजी शहर मौलाना अबुल इमरान मियां फरंगी महली ने रमजान के चांद की पुष्टि की इसके बाद मस्जिदों में नमाज व तरावीह का दौर भी शुरू हो गया रविवार सुबह शहरी के बाद से पहला रोजा रखेंगे रमजान का चांद होते ही शहर के बाजार जगमगा उठे रोजा रखने के लिए शहरी और इफ्तार के लिए खरीदारी देर रात तक हुई।

रमजान का महीना इस्लाम में बहुत ही खास होता है। यह इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। भारत में 2 अप्रैल यानी शनिवार को चांद दिखने के कारण 3 अप्रैल से रमज़ान शुरू होगा। रमज़ान के महीने में सभी बुरी आदते छोड़कर लोग रोजे रखते हैं और सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हैं। यह महीना इबादत का बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि इस महीने ही पैगेम्बर मौहम्मद को कुरान की पहली झलक पेश की गई थी। जिस वजह से यह रमज़ान का महीना और भी खास हो जाता है। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग उपवास रखते हैं। फ़ारसी में उपवास को रोज़ा कहते हैं।

क्या है सहरी और इफ्तारी का मतलब

रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले यानि फजिर की अज़ान से पहले फ़ारिक हो जाना है सहरी 3 अप्रैल यानी रविवार को माह-ए-रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 29 या 30 दिनों तक रोजा रखते हैं। रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फजिर की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी की जाती है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान माह में सूर्य निकलने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित रहता है।
शाम को नमाज से पहले अजान होते ही रोजा इफ्तार करना होता है और उसके बाद नमाज़ पढ़ने के लिए जाना होता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है
मगरिब की अज़ान के बाद खजूर से रोजा इफ्तार सुन्नत माना जाता है।
यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को रोजा इफ्तार कहते है। इसके बाद से सुबह सहरी के समय तक रोजेदार कुछ भी खा पी सकता है।
रमजान में मुस्लिम धर्म के लोग पांच वक्त की नमाज़ पढ़ते हैं। सुबह की नमाज जिसे फज्र, दोपहर की नमाज जिसे ज़ुहर (दोपहेर), शाम से पहले की नमाज जिसे असर, शाम के वक्त की नमाज जिसे मगरिब और शाम के बाद रात में पढ़ी जाने वाली नमाज जिसे इशा कहते हैं। ये पांचों वक्त का नमाज इस्लाम में बेहद महत्वपूर्ण है। रमजान के महीने में नमाज की खास अहमियत है। इन दिनों कुरान की तिलावत और दिन में रोजा रखकर करते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान में तरावीह की विशेष नमाज को सामूहिक रूप में अदा करते हैं।जिसे क़ुरआन पाक की तिलावत भी कहा जाता है।