केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था को अकल्पनीय विनाश पहुंचा सकता है इंटरनेट

By | October 21, 2019

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सोशल मीडिया संस्थानों के कामकाज को कंट्रोल करने के नियमों को आखिरी रूप देने के लिए तीन और महीने का टाइम मांगते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इंटरनेट लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था में अकल्पनीय नुकसान पहुंचाने वाला शक्तिशाली हथियार बनकर उभरा है. इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने शीर्ष अदालत को बताया कि टेक्नॉलोजी से आर्थिक तरक्की और सामाजिक विकास हुआ है, लेकिन नफरत भरे भाषणों, फर्जी खबरों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है जस्टिस दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की बेंच ने हलफनामे को रिकार्ड पर लिया. 

इससे पहले केंद्र की ओर से वकील रजत नायर ने मामले का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरीज दिशानिर्देश (संशोधन) नियम, 2018 को अंतिम रूप देने के लिए तीन और महीने का समय मांगा. फेसबुक इंक. द्वारा दाखिल हस्तांतरण याचिका में हलफनामा दाखिल किया गया. याचिका में सोशल मीडिया प्रोफाइलों को आधार से जोड़ने से संबंधित तीन उच्च न्यायालयों में दाखिल मामलों को ट्रांस्फर करने की मांग की थी. 

मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पंकज कुमार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था में इंटरनेट अकल्पनीय विनाश का शक्तिशाली हथियार बनकर उभरा है, ऐसे में लगता है कि इंटरनेट सुविधा देने वाली कंपनियों के प्रभावी कंट्रोल के लिए नियमों में बदलाव की जरूरत है जिसमें लोगों के अधिकार और राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा को बढ़ते खतरे को ध्यान में रखा जाए. 

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