नई दिल्ली। ई-सिगरेट, ई-हुक्का से दिल्ली का कनॉट प्लेस गुलजार रहता है। युवा जोड़ों के मिलन के लिए कई ऐसे मादक धुनों पर चलने वाले रेस्तरां कम बार हैं, जहां हर शाम जवां हो जाती है। कबाड़ी का कारोबार करने वाले सुनील कुमार बताते हैं कि दिल्ली में कालू सराय, नीम सराय, बेर सराय का इलाका इंजीनियरिंग, मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों का है। बड़े पैमाने पर ऐसे युवा दिल्ली के यमुनापार लक्ष्मीनगर में रहते हैं। इन स्थानों के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के आस-पास भी ई-सिगरेट, ई-हुक्का समेत सब कुछ धड़ल्ले से उपलब्ध रहता है।
माचिस या लाइटर की जरूरत नहीं
ई-सिगरेट के कारोबार से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि यह करोड़ों रुपये का बाजार बन चुका है। ई-सिगरेट और ई-हुक्का चीन से आया है, वहां से इसका आयात किया जाता है। इसमें प्रदूषण फैलाने वाला या फेफड़े को जलाने वाला धुआं नहीं निकलता। माचिस या लाइटर की जरूरत नहीं पड़ती। पूरा सिस्टम बैटरी से चलता है और कश लेने वाला युवा छल्लेदार धुंए का भी आनंद ले सकता है। युवा इसमें निकोटिन का स्वाद लेते हैं और उन्हें यह सिगरेट, हुक्का आदि से मिलने वाली शारीरिक संवेदना पैदा कर देता है।
राजस्थान सरकार ने लगाया था प्रतिबंध
31 मई 2019 को राजस्थान सरकार ने ई-सिगरेट की बिक्री, प्रयोग आदि पर प्रतिबंध लगाया था। राजस्थान सरकार के एक अफसर का कहना है कि ई-सिगरेट एक समस्या थी। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा समेत कई शहरों में इसका प्रचलन बढ़ रहा था। इसकी चपेट में युवा काफी तेजी से आ रहे थे। ऐसी भी शिकायतें मिल रही थी कि ई-सिगरेट के माध्यम से युवा कई तरह के घातक ड्रग्स भी ले रहे हैं। ई-सिगरेट में मेंथाल आदि रसायनों की मात्रा बढ़ाकर युवाओं को नशे की लत डाली जा रही थी। अब केन्द्र सरकार ने ई-सिगरेट के उत्पादन, विज्ञापन, प्रयोग सभी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। बताते हैं ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के बाद अब नारकोटिक विभाग समेत अन्य कड़ी कार्रवाई कर सकेगा।
कैसे आई ई-सिगरेट
2003 में चीनी फार्मासिस्ट होन लिक ने इसे बनाया था, जिसके बाद चीन की ही कंपनी गोल्डन ड्रैगन ने बाकी देशों में इसकी बिक्री शुरू कर दी। भारत में ई-सिगरेट नाथुला-पास, नेपाल समेत अन्य व्यापारिक रुटों से आया। बाद में भारतीय कारोबारी इसे चीन से आयात भी करने लगे। ग्रे मार्केट से इसकी बड़े पैमाने पर आपूर्ति होती है। वहीं अब ई-हुक्का भी बाजार में है और हुक्के का इस्तेमाल करने वालों को गुड़गुड़ाट के साथ हुक्का पीने का भी एहसास होता है।
कैसे करती है काम
ई-सिगरेट बैटरी से चलती है। माउथपीस और एटमाइजर दो इसके मुख्य भाग हैं। एटमाइजर से हीट (गर्मी) पैदा होती है। यह माउथपीस में पड़े घोल को वाष्प (भाप) में बदल देती है। इस घोल में निकोटीन से लेकर कोई भी फ्लेवर रखा जा सकता है। कश लेने वाला जब कश लेता है, तो इसके एक छोर पर लगी एलईडी लाईट जल उठती है। यह लाईट कई रंगों में उपलब्ध है। इसका जलना ई-सिगरेट के काम करने का संकेत देता है। इसके साथ ही एटमाइजर सक्रिय हो जाता है और माउथपीस के घोल को भाप में बदलकर उसके मुंह से होते हुए फेफड़े तक पहुंचता है।
लीची, मिंट का भी फ्लेवर
ई-सिगरेट की सारी क्रियाविधि उसके माउथपीस में रखे घोल (ई-जूस) पर निर्भर करती है। आप इसमें वनीला स्वाद ले सकते हैं। लीची, मिंट का भी आनंद ले सकते हैं। विभिन्न फलों, सब्जियों की भाप से शरीर में उसके स्वाद के अनुरुप संवेदना पैदा की जा सकती है, लेकिन इसका नकारात्मक उपयोग अधिक हो रहा है। पारंपरिक तंबाकू सेवन या सिगरेट, गांजा आदि नशे का उपयोग करने वाले लोगों ने इसे काफी विकृत रुप दे दिया है। इसके जरिए निकोटिन समेत कुछ प्रतिबंधित तत्वों, रसायनों को रखकर उसका सेवन किया जा रहा है।
