भोपाल। मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बनेगा जिसमें ‘जल का अधिकार’ कानून बनेगा जिसमें पानी के स्रोत से लेकर उपभोग तक सबको स्वच्छ एवं पर्याप्त जल सुलभ कराने पर जोर दिया जाएगा और पानी को दूषित करने वालों को दंडित करने का भी प्रावधान होगा।
मध्यप्रदेश सरकार में जन संपर्क एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने बुधवार को नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि चार देशों के कानूनों एवं केन्द्र सरकार के विधेयकों का अध्ययन करने के बाद मध्यप्रदेश की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने ‘जल का अधिकार’ विधेयक का मसौदा तैयार किया है और इसके नवंबर में विधानसभा के सत्र में पारित किये जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस समय मसौदे को लेकर आंतरिक विचार विमर्श किया जा रहा है और कुछ ही दिनों में आमजनों के सुझावों के लिए उसे सार्वजनिक किया जाएगा।
शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश में जंगलों में पानी सोखने की जबरदस्त क्षमता है और उसी का परिणाम है कि अमरकंटक में निकली छोटी सी धारा विशाल नर्मदा नदी बन गयी। इसलिए विधेयक में पानी के स्रोत के रूप में जंगलों की रक्षा पर भी जोर दिया जाएगा। इस विधेयक के माध्यम से राज्य के सभी लोगों को स्वच्छ एवं पर्याप्त पेयजल सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में जल के कृषि संबंधी उपयोग को लेकर भी व्यवस्थाएं दी जाएंगी।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि चूंकि यह देश में इस प्रकार का पहला विधेयक होगा इसलिए पानी को दूषित करने या दुरुपयोग करने को संज्ञेय अपराध नहीं बनाया गया है, पर जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि जुर्माने की दरें अभी तय नहीं की गयी हैं। सार्वजनिक राय आने के बाद ही तय किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य लोगों को जागरूक बनाना है ताकि वे जल प्रदूषण से दूर रहें और दूसरों को भी रोकें।
शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश के प्रत्येक जलस्रोत की जिओ टैगिंग की जाएगी। इसके अलावा हर जिले की अलग- अलग जानकारी को संकलित करके एक वृहद नॉलेज सेंटर बनाया जाएगा। नलकूपों के माध्यम से भूजल के दोहन को भी नियंत्रित किया जाएगा।
नदियों से रेत एवं पत्थर के खनन को नियंत्रित करने के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यह उनके विभाग की बजाय खनन विभाग का विषय है। वह खनन विभाग से अपेक्षा करेंगे कि इस विधेयक के अनुपालन में मदद करते हुए आवश्यक उपाय करेगा।
