रायपुर। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के मंत्रीमंडल की बैठक मंगलवार की देर शाम को मुख्यमंत्री आवास रायपुर में हुई। बैठक में प्रदेश में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के सवर्ण (Upper Caste) को 10 फीसदी आरक्षण (Reservation) देने का निर्णय ले लिया गया है। केन्द्र सरकार के निर्णय के बाद से प्रदेश सरकार ने इसे विचाराधीन रखा था. इस पर आज मंत्रीमंडल ने मुहर लगा दिया है। सवर्ण आरक्षण को लेकर केन्द्र सरकार की ओर से तय किए गए मापदंड को ही प्रदेश में मान्य किया जाएगा।
मंत्रीमंडल की बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे ने सवर्ण आरक्षण लागू करने के फैसले की जानकारी दी। मंत्री चौबे ने कहा छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गाें के लिये आरक्षण) अधिनियम,1994 में संशोधन करने के लिए अधिनियम संशोधन अध्यादेश, 2019 के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया है। इसके तहत अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का अनुमोदन किया गया।
सवर्ण को यहां मिलेगा लाभ
मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि संसोधन प्रस्ताव पर अनुमोदन के निर्णय के साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए छत्तीसगढ़ में लोक पदों एवं सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में सीटों का 10 प्रतिशत आरक्षण करने का निर्णय लिया गया. इस संबंध में जनसंख्यात्मक जानकारी एकत्रित करने के लिये एक आयोग गठित किया जाएगा. मंत्री चौबे ने बताया कि बैठक में छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण के माध्यम से खेल उत्कृृष्टता केंद्र ( खेल अकादमी) के क्रियान्वयन का निर्णय भी लिया गया है.
लेमरू एलीफेंट रिजर्व बनेगा
बैठक में निर्णयों की जानकारी देते हुए वरिष्ठ मंत्री मो. अकबर ने बताया कि प्रदेश के कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ एवं सरगुजा वनमंडल क्षेत्र के अंतर्गत 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरू हाथी रिजर्व गठित करने का निर्णय लिया गया. इस रिजर्व के अंतर्गत 142 गांव आएंगे. यह दुनिया में अपनी तरह का पहला एलीफेंट रिजर्व होगा, जहां हाथियों का स्थायी ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवाजाही तथा इससे होने वाले जान-माल के नुकसान पर अंकुश लगेगा. वर्तमान में प्रदेश में कुल 237 हाथी हैं, जो सरगुजा, बिलासपुर एवं रायपुर वन वृृत्तों में भ्रमण कर रहे हैं.
अबूझमाड़ का सर्वे
मंत्री अकबर ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूूझमाड़ अंतर्गत बस्तर संभाग के जिला नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा के लगभग 275 से अधिक असर्वेक्षित ग्राम स्थित हैं. इन ग्रामों का कोई भी शासकीय अभिलेख तैयार नहीं है. मंत्रिपरिषद द्वारा निर्णय लिया गया कि अबूझमाड़ क्षेत्र के असर्वेक्षित ग्रामों में वर्षाें से निवासरत लगभग 50 हजार से अधिक लोगों को उनके कब्जे में धारित भूमि का मसाहती खसरा एवं नक्शा उपलब्ध कराया जाएगा. इससे किसान परिवारों के पास उनके कब्जे की भूमि का शासकीय अभिलेख उपलब्ध हो सकेगा तथा वे अपने काबिज भूमि का अंतरण कर सकेंगे.
