डम्पर घोटाले की जांच भी कराएगी कमलनाथ सरकार

By | July 30, 2019

भोपाल।हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाये गए सवालों के जवाब में राज्य सरकार ने व्यापम समेत अन्य घोटालों की जांच कराने की बात कही थी, लेकिन अब राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए डंपर घोटाले की पुन: जांच कराने के भी संकेत दिये हैं. प्रदेश के विधि विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री डा. गोविन्द सिंह ने मंगलवार को मीडिया को एक बयान जारी कर डंपर घोटाले को व्यापम से बड़ा घोटाला करार देते हुए उसकी पुन: जांच कराने की बात कही है.

उल्लेखनीय है कि भाजपा शासन के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने डंपर घोटाले का मामला जोर-शोर से उठाया था. इस मामले को लेकर उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी और लोकायुक्त पुलिस द्वारा इसकी जांच भी की गई, लेकिन सभी जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लगी. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने केके मिश्रा की याचिकाएं खारिज कर दी थीं तो लोकायुक्त की जांच में भी कुछ नहीं निकला था. मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री मंत्री डा. गोविंद सिंह ने डंपर घोटाले की दोबारा जांच शुरू करने के संकेत दिये हैं. राज्य सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान व्यापम के साथ-साथ सिंहस्थ में हुई अनियमितताएं, पौधरोपण, ई-टेंडरिंग आदि मामलों की जांच की बात कही थी. उन सभी की फाइलें सीएम कमलनाथ ने तलब की हैं. जल्द ही सरकार इन सभी मामलों की जांच शुरू कर सकती है.

डंपर मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिजनों का नाम सामने आया था. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कमलनाथ सरकार ने अब तक पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है. इसका कारण कमलनाथ-शिवराज की केमिस्ट्री को बताया जा रहा है, लेकिन यदि सरकार इस मामले की दोबारा जांच शुरू करती है तो इन अटकलों पर भी विराम लग जाएगा.

भाजपा ने मंत्री डा. गोविन्द सिंह के बयान को बदले की राजनीति बताया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि कांग्रेस सरकार लगातार आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रही है. कमलनाथ सरकार निष्कर्ष पहले निकाल रही है और जांच कराने की बात बाद में कर रही है. यह वही कांग्रेस है, जिसे न न्यायालय पर भरोसा है और न ही जांच एजेंसी पर भरोसा है. जब अदालत और लोकायुक्त जैसी एजेंसी इस मामले में क्लीनचिट दे चुकी हैं तो इसकी जांच का कोई औचित्य नहीं है.

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