
पीलीभीत जिले में होली का त्योहार विभिन्न रंगों से सजा होता है। यहां होली के कुछ अनोखे और विशेष प्रथाएं देखने को मिलती हैं।
1. शेरपुर कला में गालियां देकर फगुआ:
मुस्लिम बाहुल्य ग्राम शेरपुर कला में होली के दिन भव्य जुलूस निकाला जाता है। इसमें गालियां देकर फगुआ (होली का नेग) वसूला जाता है। मुस्लिम भाई भी इसका बुरा नहीं मानते और होलियारों का भव्य स्वागत करके नेग देते हैं।
2. माधोटांडा में महिलाओं की होली:
गोमती उद्गम नगरी माधोटांडा में होली के एक दिन बाद महिलाओं की होली होती है। उनके द्वारा रंगने के भय से पुरुष जंगल की तरफ चले जाते हैं। अंग्रेजी हुकूमत से चली आ रही इस प्रथा को महिला सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल माना जाता है।
3. कपड़ा फाड़ होली:
देहात में युवा कपड़ा फाड़ होली खेलते हैं। इसमें रंग खेलने के बाद एक दूसरे के रंगीन कपड़े फाड़कर पेड़ पर लटका दिए जाते हैं। रंग के स्थान पर ताल पोखरों की मिट्टी व गोबर से होली खेलने की रिवाज भी देखने को मिलती है।
4. विभिन्न समुदायों की होली:
जनपद में बसे बंगाली, पूर्वांचलवासी और थारू समाज के लोग अलग अलग अंदाज में होली पर्व मनाते हैं। इन सबकी होली देखने लायक होती है।
5. धमाल टीमों का प्रदर्शन:
गांव देहात के कलाकार धमाल टीमों के जरिए अपने गायन, वादन व नृत्य का अद्भुत प्रदर्शन करते हैं। जिन घरों में साल भर में किसी की मृत्यु होती है वहां गमी (शोक) की समाप्ति होली पर धमाल टीम के आने व होली गीत गाने से ही होना माना जाता है। इनके द्वारा प्रस्तुत स्वांग लोक कला का एक अद्भुत उदाहरण है।
यह सभी प्रथाएं और परंपराएं पीलीभीत में होली के त्योहार को अद्भुत और अनोखा बनाती हैं। यह त्योहार सभी के लिए खुशियां और उल्लास लेकर आता है। आइए हम सब मिलकर इस त्योहार को भाईचारे और प्रेम के साथ मनाएं।