
(रिपोर्ट – वार्शिका प्रजापति)
लखनऊ- पब्लिक कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (एलपीसीपीएस) में आई. क्यू. ए. सी. द्वारा आयोजित एक सप्ताह की कार्यशाला का दूसरा दिन था। इस दिन कार्यशाला का मुख्य विषय था “आधुनिक युग में आंतरिक इंजीनियरिंग की आवश्यकता: वेदों के परिप्रेक्ष्य में”। इस विषय पर प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर आसमा हुसैन ने मुख्य अतिथि के रूप में व्याख्यान दिया। आसमाह हुसैन ने अपने व्याख्यान में कहा कि आधुनिक युग में भौतिकवाद की ओर बढ़ते हुए लोग अपने आंतरिक विकास को भूलते जा रहे हैं। वेदों और उपनिषदों में बताए गए जीवन के मूल सिद्धांतों का पालन करके हम अपने आंतरिक इंजीनियरिंग को कर सकते हैं और एक सफल और संतुलित जीवन जी सकते हैं।
आसमाह हुसैन ने अपने व्याख्यान में आंतरिक इंजीनियरिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आंतरिक इंजीनियरिंग का अर्थ है अपने मन, शरीर और आत्मा को एकरूप करना। इसके लिए हमें अपने मन को शांत करना, अपने शरीर को स्वस्थ रखना और अपने आत्म-ज्ञान को बढ़ाना होगा। आसमाह हुसैन ने कहा कि वर्तमान समय में भौतिकवाद में फंसे हुए होने पर स्वांतः सुखाय का मंत्र ही हमें सफलता दिला सकती है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने लिए जीते हैं, तो हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक प्रेरित होते हैं। कार्यशाला के अंत में एलपीसीपीएस की डायरेक्टर गरिमा सिंह और डीन प्रो. एल. एस. अवस्थी ने अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन दिया।
कार्यशाला के मुख्य बिंदु:
- आधुनिक युग में भौतिकवाद की ओर बढ़ते हुए लोग अपने आंतरिक विकास को भूलते जा रहे हैं।
- वेदों औरआंतरिक इंजीनियरिंग में बताए गए जीवन के मूल सिद्धांतों का पालन करके हम अपने आंतरिक इंजीनियरिंग को कर सकते हैं।
- आंतरिक इंजीनियरिंग का अर्थ है अपने मन, शरीर और आत्मा को एकरूप करना।
- इसके लिए हमें अपने मन को शांत करना, अपने शरीर को स्वस्थ रखना और अपने आत्म-ज्ञान को बढ़ाना होगा।
- वर्तमान समय में भौतिकवाद में फंसे हुए होने पर स्वांतः सुखाय का मंत्र ही हमें सफलता दिला सकती है।
यह कार्यशाला आधुनिक युग में आंतरिक इंजीनियरिंग के महत्व पर प्रकाश डालती है। यह कार्यशाला लोगों को अपने आंतरिक विकास के लिए प्रेरित करती है।