
रिपोर्ट-इशिका सिंह
ऐतिहासिक तौर पर पाकिस्तान को अमेरिका के सहयोगी देश के तौर पर देखा जाता रहा है ख़ासकर 1980 से लेकर हाल के सालों तक इस दौरान पाकिस्तान फ्रंटलाइन पर अमेरिका के साथ दो युद्धों में शामिल रहा है।
(फाइल फोटो)
वहीं दूसरी ओर भारत इस दौरान विदेश नीति को लेकर गुटनिरपेक्ष नीति अपनाता रहा। इस दौरान भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा। रूस की पहचान अमेरिका के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी की रही है। वहीं दूसरी ओर भारत के लिए रूस सैन्य उपकरण और ऊर्जा का सबसे बड़ी आपूर्ति करने वाला देश रहा है।
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इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि संयुक्त बयान में पाकिस्तान की भी चर्चा हुई और कहा गया कि पाकिस्तान सरकार को ‘आतंकवाद’ को ख़त्म करने के लिए काम करना होगा और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान की ज़मीन से कोई ‘आतंकी हमला’ नहीं हो।