मनीष गुप्ता editor-in-chief समाचार भारती
1 यूनिट रक्त की कीमत सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है।
जिसे कभी अपने या अपनों के लिए एक यूनिट रक्त की जरूरत हो और उसे डोनर ना मिल रहा हो।
जो लखनऊ के बाहर के पेशेंट आते हैं उनमें दिक्कत आमतौर पर ज्यादा देखी जाती है। लोकल पेशेंट के लिए तो डोनर मिल जाते हैं परंतु जो लोग बाहर से इलाज कराने आते हैं उनके लिए बहुत बड़ा टास्क होता है।
साल में 3 से 4 रक्तदान शिविर एक कोशिश ऐसी भी संस्था द्वारा लगाए जाते हैं। जिससे हम लोग कोशिश करते हैं कि साल भर रक्त की रिक्वायरमेंट को पूरा किया जा सके अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए।
जिसमें कि पीजीआई और मेडिकल कॉलेज की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है।
हमारी कोशिश भी रहती है कि रक्तदान शिविर में पीजीआई और मेडिकल कॉलेज की टीम ही आए। रक्तदान शिविर में संभवत इतनी भीड़ नहीं होती है रक्त देने वालों की जितनी कि साल भर रिक्वायरमेंट आती है। यदि हमारे युवाओं में नियमित रूप से रक्तदान की भावना आ जाए तो यह तस्वीर बदली जा सकती है।
हमारी हाथ जोड़कर प्रार्थना है हर उस व्यक्ति से जो रक्तदान के लिए सक्षम है।
रक्त की जरूरत एक ऐसी जरूरत है जो हर परिवार में कभी ना कभी आज ही जाती है।
मैं खुद भी एक रेगुलर डोनर हूं। सरकार द्वारा यदि कॉलेजेस में नियमित रूप से रक्तदान शिविर का कोई नियम लागू करवा दी जाए तो रक्त की कमी को अस्पतालों में पूरा किया जा सकता है।
18 दिसंबर को लगाए गए कैंप में जिस दिन लोगों ने रक्तदान किया था मैं उन सभी लोगों का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूं। आपके द्वारा किया गया रक्तदान निरंतर लोगों की जान बचाने में सहयोग कर रहा है। आपको पता भी नहीं चल रहा है कि आप कितनी जानें अब तक बचा चुके हैं , नियमित रक्तदान से
रक्तदान करके देखिए अच्छा लगता है
राज किशोर भाई साहब मैं भी 18 तारीख को रक्तदान किया था जिनकी वजह से आज माताजी की जान बचाई गई है मैं राज किशोर भाई साहब का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूं प्रभु ,आपको सदैव स्वस्थ रखे ऐसी कामना है।
