“मातृ दिवस विशेष” सुशील सोच

By | May 8, 2022

(समाचार भारती संपादकीय विशेष)

सुशील कुमार प्रजापति- 

मातृ दिवस

आज का दिन माँ के नाम

पर कश्मकश में हूँ क्या लिखूँ …

तीन पहर गुज़र गए ,

शब्दों में उलझ गए , सोचते सोचते ,

कुछ लिखा , कुछ मिटा ,

जो जननी है , जगत जिस पे निर्भर है ,

जिससे चलता है ये संसार ,

कहाँ से वें शब्दकोष लाऊँ ,

जो माँ के महानता को परिभाषित कर सके ,

जो माँ के व्यक्तित्व पर पूर्णविराम लगाए , सोचता हूँ और एहसास होते जाता है

कि जो खुद माँ नहीं , वो माँ की व्याख्या क्या क्या करेगा,

कि अभी स्वयं अपनी ही पूरी क्षमता तक नहीं पहुंचा है,

अनुभवहीन है ,

वह माँ शब्द की व्याख्या क्या करेगा …

माँ जो शब्दों से परे हो , माँ जिसका हर रूप सुंदर है ,

जिसके बिना जग स्व्यं चल नहीं ..

वो माँ महान है , माँ तो पर्व है

जिसे रोज़ मनाना चाहिए…

 

(कलमकार प्रसिद्ध लेखक हैं और पेशे से सिविल इंजीनियर)