नेक इरादों के साथ अकील अहमद उर्फ़ पट्टा पहुचे मकनपुर शरीफ, ज़ियारत कर टेका माथा

By | February 12, 2022

 

ब्यूरो चीफ़ आरिफ़ मोहम्मद कानपुर

बिल्हौर तहसील क्षेत्र के मकनपुर में सैय्यद बदीउद्दीन जिंदा शाह मदार की दरगाह पर दम मदार बेड़ा पार की गूंज के साथ 605 वां उर्स की शुरुआत हो गई। वैश्विक महामारी के चलते सरकार का प्रतिबंध तो जरूर है लेकिन अकीदतमंद प्रदेश स्तर के व आसपास से जायरीन पहुचते हैं ।

उर्स में जायरीनों और मलंगों के आने और दरगाह में मत्था टेकने और चादर चढ़ाने का सिलसिला जारी हो गया है। यहां पर सैकड़ों साल पुरानी वस्तुएं मौजूद हैं, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हैं। इन्हीं में से हजरत का एक कटोरा है, जो खाने में मिले जहर की पहचान कर लेता है।

माथा टेककर मांग रहे मन्नत

मकनपुर स्थित हजरत सैयद बदीउद्दीन जिंदाशाह मदार की दरगाह पर उर्स के दिन सुबह से आए जायरीनों द्वारा माथा टेकने के साथ ही मन्नत मांगने का सिलसिला जारी हो जाता है। दरगाह परिसर में लगे पाकड़ वृक्ष पर जायरीन धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं।

मेले का इतिहास पुराना

कमेटी के सदस्य बताते है कि भारत में मेले का इतिहास काफी पुराना रहा है। यह मेला हिंदुस्तानी सभ्यता का हिस्सा रहा हैं, जिसमें सबसे अहम कुंभ का मेला है। इन मेलों को तरक्की हजरत जिंदा शाह मदार के हिंदुस्तान में आने के बाद मिली और मेला के साथ मदार नाम जुड़ा।

आम बोलचाल में लोग आज भी मेला मदार जाने का जिक्र करते हैं। उन्होंने बताया कि हजरत जिंदा शाह मदार लगभग 282 हिजरी में भारत पहुंचे और भारत भ्रमण के बाद मकनपुर शरीफ आए थे।

मकनपुर में मदार साहब के दुनिया से पर्दा कर जाने के बाद शर्की हुकूमत के दौर में दरगाह का निर्माण किया गया। इसके बाद मदार साहब को मानने वाले लोग मकनपुर पहुंचने लगे और मेलों का दौर शुरू हो गया।

धागा बांधते ही मन्नत हो जाती पूरी

हजरत सैय्यद बदीउद्दीन जिंदा शाह मदार की दरगाह के पास एक सैकड़ों वर्ष पुराना पाकड़ वृक्ष खड़ा हुआ है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां आकर धागा बांध दे तो उसकी हर समस्या का समाधान हो जाता है। आने वाले जायरीन पाकड़ वृक्ष में धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं।

उसी कड़ी में दम्मदार बेड़ा पार आज रसूलाबाद के चेयरमैन जनाब अकील अहमद उर्फ़ पट्टा, जनाब आरिफ़ कुरैशी, जनाब भूरा प्रधान, जनाब हाफ़िज़ नूर आलम, मकनपुर शरीफ़ में पीरे तरीक़त हज़रत सय्यद यूनुस अली जाफ़री मदारी साहब के घर तशरीफ़ लाए और हुज़ूर सैय्यदना मदारूल आलमीन रज़ि० की दरगाह शरीफ़ में हाज़री दी और हज़रत ने ख़ानक़ाहे मदार में पगड़ी बांधी और दुआ फ़रमाई बिल्हौर से जनाब लाल बाबू कुरैशी,

जनाब नूर आलम कुरैशी, जनाब जलील कुरैशी, जनाब नफ़ीस शाह, जनाब डां रहमान साहब, जनाब मोअल्लिम हुसैन, जनाब वासिल साहब, जनाब नज़र अली, जनाब मख़रत अली आदि जायरीनों ने ज़ियारत कर माथा टेका औऱ मुल्क में चैनों अमन की दुआएं की।