भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष और सीएम कमलनाथ को नोटिस जारी कर बुधवार सुबह 10:30 बजे सुनवाई का समय दिया है। शिवराज के वकील मुकुल रोहतगी ने कमलनाथ सरकार को अल्पमत में बताकर तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया था। राज्य सरकार और कांग्रेस की ओर से इस दौरान कोई भी मौजूद नहीं था। सुप्रीम कोर्ट में राजभवन को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है।
इसके पहले बेंगलुरु में मौजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक सामने आए और कहा कि हम बंधक नहीं हैं। हमने इस्तीफा सौंपा था लेकिन 22 में से सिर्फ 6 का ही मंजूर किया गया। सीएम कमलनाथ का पूरा ध्यान सिर्फ छिंदवाड़ा में विकास करने पर ही था, हमारे क्षेत्र की समस्या सुनने के लिए उनके पास 15 मिनट का भी समय भी नहीं। कोरोना वायरस के चलते सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र बिना फ्लोर टेस्ट कराए 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया था।
मध्य प्रदेश में सियासी संकट पर लगी एक और याचिका
मध्य प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र और सचिन जैन ने सुप्रीम कोर्ट में खुली याचिका पेश की है और कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में हमने अपने मताधिकार का प्रयोग लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए किया था। लेकिन मध्य प्रदेश में छाए राजनीतिक संकट के कारण ना सिर्फ लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, बल्कि संविधान की अपेक्षा की जा रही है, इसलिए मतदाता होने के आधार पर हमारी इस नागरिक याचिका को स्वीकार किया जाए।
