9 अगस्त: शाह ने कांग्रेस से बराबर किया राज्यसभा चुनाव का अपना ‘हिसाब’!

By | January 13, 2022

ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती-

9 अगस्त 2018 को राज्यसभा में हुए उपसभापति चुनाव में एनडीए के हरिवंश सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की. ऊपरी सदन में मोदी सरकार को मिली इस जीत के बड़े मायने निकाले जा रहे हैं, इसे विपक्षी एकता में बड़ी सेंध की तरह देखा जा रहा है. लेकिन अगर समय की घड़ी को थोड़ा पीछे घुमाएंगे, तो ठीक एक साल पहले 8 अगस्त, 2017 को गुजरात के राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को करारी हार मिली थी. यानी एक साल पहले मिली उस बड़ी हार का हिसाब बीजेपी ने अब बराबर कर लिया है.

दरअसल, 8 अगस्त 2017 को गुजरात में राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी. लेकिन वो ड्रामा इतना लंबा चला था कि नतीजा आते-आते 9 अगस्त हो गई थी. यानी ठीक एक साल बाद बीजेपी ने अपनी उस हार का हिसाब उपसभापति चुनाव से बराबर किया. अंतर बस इतना है कि वो राज्यसभा सांसद का चुनाव था और ये उपसभापति का चुनाव.

तब कैसे अहमद पटेल ने दी थी शाह को मात…

पिछले साल गुजरात में राज्यसभा चुनाव में भी ऐसी ही तस्वीर बनी थी. उसमें भी एक-एक वोट की लड़ाई थी. उस चुनाव को भी बीजेपी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था. लेकिन ऐन वक्त पर अहमद पटेल बाजीगर साबित हुए थे.

गुजरात के राज्यसभा चुनाव में कुल 176 वोट किए गए थे. इनमें से 2 वोट रद्द कर दिए गए, जिसके चलते 174 वोटों की काउंटिंग की गई थी. एक समय हारते दिख रहे अहमद पटेल ऐन वक्त पर जीत दर्ज करने में कामयाब हो गए. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार बलवंत राजपूत को शिकस्त दी थी.

उस चुनाव में पूरे दिन हाईवोल्टेज ड्रामा चला था. अमित शाह खुद गुजरात में डेरा डाले बैठे थे. लड़ाई इस कदर थी कि गुजरात से लेकर दिल्ली में चुनाव आयोग तक सरगर्मी थी. कांग्रेस दो विधायकों के वोट रद्द करवाने के चक्कर में देर रात ही चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गई थी. कांग्रेस के इस प्रयास को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने 6 केंद्रीय मंत्रियों का डेलीगेशन चुनाव आयोग भेजा था. अंतत अहमद पटेल ने चुनाव में जीत हासिल की थी, उस दौरान गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले इसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना गया था.

अब शाह-मोदी की रणनीति ने एकजुट विपक्ष को दी करारी मात…

उपसभापति चुनाव से पहले एनडीए राज्यसभा में अल्पमत में था और उनके उम्मीदवार की जीत भी मुश्किल लग रही थी. लेकिन मोदी और शाह की जोड़ी ने एक बार फिर अपना खेल दिखाया और पूरा पासा पूरी तरह पलट गया.

दरअसल, वोटिंग से पहले बीजेपी, ओडिशा की बीजेडी, तेलंगाना की टीआरएस, तमिलनाडु की AIADMK को अपने पक्ष में लाने में सफल हुई. जबकि आधिकारिक तौर पर ये तीनों दल एनडीए का हिस्सा नहीं हैं. इसके अलावा YSR कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का वोटिंग में हिस्सा ना लेना भी एनडीए के पक्ष में गया.

साथ ही बीजेपी एनडीए के अपने नाराज साथी अकाली दल और शिवसेना जैसे दलों को भी साधने में कामयाब रही. दोनों दल बीजेपी से नाराज बताए जा रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार के बात करने के बाद दोनों ने सरकार के पक्ष में वोट किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उद्धव ठाकरे को सरकार का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया. एक और एनडीए ने अपने आप को एकजुट रखा तो वहीं विपक्ष अपना उम्मीदवार भी अंतिम समय तक तय नहीं कर पाया था.

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