स्किल्स को बेहतर बना रहा है ऑनलाईन लूडो

By | June 7, 2021

ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती

स्किल्स को बेहतर बना रहा है ऑनलाईन लूडो
नयी दिल्ली। ऑनलाईन लूडो ऑनलाईन गेमर्स के बीच बेहद लोकप्रिय हो गई है, खासतौर पर वे गेमर्स इसे बहुत पसंद करते हैं तो कौशल (स्किल) आधारित प्रतियोगी गेम्स खेलना चाहते हैं। यह ऑनलाईन गेम, बोर्ड गेम की तरह है, जिसे जीतने के लिए आपको स्किल की ज़रूरत होती है। आपको पूरी रणनीति बनाकर, दिमाग लगाकर गेम को खेलना होता है। लूडो सुप्रीम, सबसे लोकप्रिय स्किल-आधारित लूडो गेम्स में से एक है। गेम में हार-जीत का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि प्लेयर ने गेम को कितनी अच्छी तरह से समझा और गेम के दौरान किस तरह रणनीति बनाकर फैसला लिया। स्किल्स को बेहतर बना रहा ऑनलाईन लूडो को लेकर इंडिया टेक डॉट ओआरजी के सीईओ रमीश कैलासम का कहना है कि लूडो सुप्रीम का गेम जीतने के लिए प्लेयर को डाईस पर बेतरतीब तरीके से आने वाले नंबरों का उपयोग सोच-समझ कर करना होता है और साथ ही चारों टोकन्स पर बराबर ध्यान देना होता है। टोकन को मुव करना, समय का सोच-समझ कर इस्तेमाल करना, ‘होम’ तक पहुंचने की कोशिश, दूसरे प्लेयर पर आक्रामक होना, या किसी मुव को पूरी तरह से स्किप कर जाना- खेल के दौरान प्लेयर को इनमें से हर पहलु पर पूरा फोकस करना होता है। यहां विभिन्न प्रकार के स्किल्स जैसे रणनीति, प्रेक्षण, फैसला लेने की क्षमता, फोकस, एकाग्रता और चतुराई जैसी विशेषताएं मायने रखती हैं। आपको गेम जीतने के लिए कौशल तो चाहिए ही, साथ ही अगर आप गेम खेलना जारी रखते हैं तो समय के साथ आपका स्किल और बेहतर होता चला जाता है। कम से कम 30 गेम खेलने के बाद प्लेयर्स के जीतने का अनुपात इस बात की पुष्टि करता है। स्किल-आधारित गेम चुनने में प्रेरणा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2015 में इटली के दो शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक कौशल आधारित गेम चुनने के लिए रणनीति एवं समाजीकरण दो मुख्य प्रेरक पहलु हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाईन लूडो गेम खेलने वालों के आंकड़े तेज़ी से बढ़े हैं, इससे साफ है कि प्लेयर्स ने इसे किस तरह अपनाया है। ऑनलाईन लूडो जैसे गेम्स खिलाड़ी में प्रतियोगिता की भावना उत्पन्न करते हैं, जो गेमर्स कम्युनिटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, खासतौर पर इस अनिश्चित समय में इस तरह की भावना आम लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो सकती है। उपरोक्त सभी तथ्यों के मद्देनज़र इस गेम की तुलना कॉइन टॉस से करना तर्कसंगत रूप से गलत होगा, जो गलत मंशा एवं गलत इरादों के साथ बेवजह तनाव का कारण बन सकता है। भारत में सांस्कृतिक एवं सामाजिक खेलों का लम्बा एवं समृद्ध इतिहास रहा है, जिनका उपयोग मनोरंजन एवं सामाजिक सक्रियता के लिए किया जाता रहा है। देश में इस तरह के खेलों में लूडो, कैरम, सांप-सीढ़ी और यहां तक की शतरंज बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आधुनिक तकनीक के चलते आज ये सभी गेम्स ऑनलाईन रूपों में उपलब्ध हैं। इनके फॉर्मेट में कुछ ज़रूरी बदलावों जैसे फ्री टू प्ले और पे टू प्ले फॉर्मेट्स के साथ ये प्राथमिक तौर पर कौशल आधारित बन गए हैं, जिनमें किस्मत और मौकापरस्ती की संभावना कम हुई है। इनमें कई आसान से बदलाव लाए गए हैं, जैसे टाईम लिमिट, मुव्स को स्किप करने का विकल्प, गेम खोलने के लिए किसी विशेष नंबर पर निर्भरता न होना- इस तरह के बदलाव गेम को अवसरवादी के बजाए कौशल पर निर्भर बनाते हैं। नए यूज़र जब साईन-अप करते हैं, तो उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है, यह प्रशिक्षण के लिए खेले जाने वाले गेम्स निःशुल्क होते हैं और इनके ज़रिए यूज़र को सीखने, विकसित होने, कौशल एवं रणनीति के आधार पर बेहतर परफोर्म करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। रमीश कैलासम ने कहा कि ये ऑनलाईन गेम्स ऑनलाईन स्किल बेस्ड कैजु़अल गेम्स की श्रेणी में आते हैं और किसी भी तरह से इनकी तुलना गैम्बलिंग (जुए) से नहीं की जा सकती। ऐसे में इनोवेशन्स एवं स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए इन उभरती तकनीकों, जानकारी तथा संभावी विनियमों के बारे में गहन समझ होना समय की मांग है। ऑनलाईन लूडो खेलना, वास्तविक जीवन के क्रिकेट टूर्नामेन्ट या फुटबॉल लीग से अलग नहीं है। आप एक गेम में जीत सकते हैं या हार सकते हैं, यह परिस्थितियों और आपकी एकमात्र गलती पर निर्भर करता है, जिसे कुछ लोग किस्मत का खेल कह सकते हैं। लेकिन अगर आप लीग में जीत हासिल करना चाहते हैं तो आपको लगातार सुधार करते हुए अच्छा परफोर्मेन्स देना होगा। ऐसा सिर्फ किस्मत या अवसर से संभव नहीं है, वास्तव में अवसर और कौशल के बीच का अंतर ही ऑनलाईन लूडो को खास बनाता है। अगर आप ऑनलाईन लूडो गेम की प्रगति को एस कर्व पर प्लॉट करें, तो आप आसानी से प्लेयर्स की प्रगति का अंदाज़ा लगा सकते हैं। आप पाएंगे कि खेलना जारी रखने के साथ तकरीबन सभी खिलाड़ी मीडियन के पार चले जाते हैं और उनकी जीत के अनुपात में सुधार होता है। यह इस बात का प्रणाम है कि यह सिर्फ गेम कौशल एवं अनुभव पर आधारित है और कई अनुसंधानों में यह साबित हो चुका है। भारत की कई माननीय अदालतों ने लूडो को कौशल आधारित गेम बताया है। ठीक शतरंज की तरह, जहां लोगों को अपनी समझ, फैसला लेने की क्षमता और रणनीति का उपयोग करना होता है, इसी तरह का कौशल लूडो में भी ज़रूरी है जहां खिलाड़ी को सोच-समझ कर तय करना होता है कि कब, कौनसा टोकन मुव करें, ज़्यादा से ज़्यादा टोकन दूसरे खिलाड़ियां से पहले अपने गंतव्य यानि ‘होम’ तक पहुंचें, आपके टोकन दूसरे खिलाड़ी के हमले से सुरक्षित रहें। किस टोकन को मुव करना है और किसे छोड़ना है, चेज़ करना है या रन करना है, अन्य प्लेयर के टोकन पर हमला करना है और कब अपने आप को सुरक्षित रखना है, ये सभी पहलु खेल में हर कदम पर मायने रखते हैं। इन सभी के लिए कौशल की आवश्यकता होती है। जैसा कि हमने पाया है कि डाईस को रोल करना भी सिर्फ अवसर या संभावना पर नहीं बल्कि अवसरवादी कौशल पर आधारित है।

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