राघवेंद्र सिंह राजू ने उठाई आवाज,सपा सांसद की बोलती हुई बंद,संसद में दिया था विवादित बयान.

By | March 22, 2025

सपा के राज्य सभा सांसद लाल जी सुमन के बयान पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की नाराजगी, राघवेंद्र सिंह राजू ने दिया अल्टीमेटम

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा की संसद में ऐसे लोग भी पहुंचते है जो अपने घटिया भाषण के चलते अपने आप को आकर्षण का केंद्र बनने पर आतुर रहते है । उन्होंने बताया महाराणा सांगा को कोई प्रमाण पत्र की जरूरत ही नहीं है, मगर सदन की गरिमा और हमारे इतिहास में से एक महान व्यक्तित्व के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री राघवेंद्र सिंह राजू ने कहा की “महाराणा सांगा जैसे वीर योद्धा, जिन्होंने 80 घाव सहकर भी हिंदुस्तान की आन-बान-शान की रक्षा की, उन्हें गद्दार कहने की हिम्मत सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने दिखाई। यह न सिर्फ राजपूत समाज बल्कि पूरे देश का अपमान है। महाराणा को किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं, मगर संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले इस शर्मनाक कृत्य के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है। तुष्टिकरण की राजनीति अब और बर्दाश्त नहीं होगी .

हाल ही में समाजवादी पार्टी के #सांसद_राम_लाल_सुमन का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे मेवाड़ के शासक राणा सांगा को गद्दार बताते हुए दावा कर रहे हैं कि बाबर को भारत लाने वाले राणा सांगा ही थे।राष्ट्रीय महामंत्री राघवेंद्र सिंह राजू ने कहा की इस दावे के संदर्भ में ऐतिहासिक तथ्यों को समझना जरूरी है। इतिहास बताता है कि बाबर (जहीरुद्दीन मुहम्मद) को हिंदुस्तान में लाने वाला कोई एक व्यक्ति नहीं था, बल्कि यह कई लोगों और परिस्थितियों का संयुक्त परिणाम था।

आइए इसे विस्तार से और सुसंगत तरीके से देखें:बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में दिल्ली सल्तनत के शासक इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। लेकिन उसे भारत तक पहुंचाने में मुख्य रूप से दो व्यक्तियों का नाम सामने आता है #दौलत_खान_लोदी और #आलम_खान_लोदी।

इन दोनों ने अपने निजी स्वार्थों और इब्राहिम लोदी से असंतोष के चलते बाबर को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था।

दौलत खान लोदी पंजाब का गवर्नर था और इब्राहिम लोदी से उसकी शक्ति छीने जाने के कारण नाराज था। उसने 1524 में बाबर को न्योता दिया कि वह इब्राहिम को सत्ता से हटाए। इसी तरह, आलम खान लोदी, जो दौलत खान का चाचा था, भी इब्राहिम से असंतुष्ट था और उसने बाबर से संपर्क कर मदद मांगी। बाबर की आत्मकथा “#बाबरनामा” में इन दोनों के निमंत्रण का स्पष्ट उल्लेख है, जो इस बात का प्राथमिक सबूत है कि बाबर को भारत लाने में इनका बड़ा योगदान था। आधुनिक इतिहासकार जैसे सतीश चंद्रा और ए.एल. श्रीवास्तव भी इस बात से सहमत हैं कि दौलत खान और आलम खान ने बाबर को प्रेरित किया।

अब बात #राणा_सांगा की। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने भी बाबर को इब्राहिम लोदी के खिलाफ गठबंधन के लिए बुलाया हो सकता है। #बाबरनामा में इसका जिक्र है कि राणा सांगा ने बाबर से संपर्क किया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनका मकसद बाबर को भारत लाना था या सिर्फ अपने फायदे के लिए इब्राहिम को कमजोर करना।

इस संभावना को बल इसलिए नहीं मिलता क्योंकि बाद में 1527 में #खानवा_की_लड़ाई में बाबर और राणा सांगा आमने-सामने आ गए। इससे साफ होता है कि अगर कोई गठबंधन था भी, तो वह अस्थायी और स्वार्थ पर आधारित था।

इसीलिए राणा सांगा का योगदान विवादास्पद माना जाता है, और इतिहास में दौलत खान व आलम खान को ही बाबर को भारत लाने का अधिक श्रेय दिया जाता है।

#सबूत

1. बाबरनामा: बाबर की आत्मकथा में दौलत खान और आलम खान के निमंत्रण का उल्लेख है, और राणा सांगा से संपर्क का भी हल्का जिक्र है।यह उस समय की घटनाओं का प्राथमिक स्रोत है।

2. इतिहासकारों की राय: सतीश चंद्रा और ए.एल. श्रीवास्तव जैसे विद्वान दौलत खान और आलम खान को मुख्य रूप से जिम्मेदार मानते हैं। राणा सांगा का रोल संदिग्ध और गौण माना जाता है।

Note:- नेता चाहे समाजवादी का हो या किसी भी पार्टी का जब भी कोई इस प्रकार की टिप्पणी आकर तो समाज को उसको प्रमाण देने की वजह उसका ऐसा इलाज करे ताकि भविष्य में कोई भी नेता इस प्रकार की टिप्पणी करने से पहले 10 बार सोचे।