शाम – ए- अवध के बीच मोहब्बत का तरन्नुम छेड़ती ये फिजाएं, शायद बीते हुए लम्हें को बुलाती हुई.. फिर इक बार जिंदगी जी लेने की हसरते जगाते हुए

By | September 3, 2025

शाम – ए- अवध के बीच मोहब्बत का तरन्नुम छेड़ती ये फिजाएं, शायद बीते हुए लम्हें को बुलाती हुई.. फिर इक बार जिंदगी जी लेने की हसरते जगाते हुए…… फीचर फोटो – सौजन्य से सुशील कुमार प्रजापति ( महाप्रबंधक समाचारभारती )