बदलते मौसम में फसलों की देखभाल जरूरी- डॉ खलील खान

By | January 6, 2022

ब्यूरो चीफ़ आरिफ़ मोहम्मद कानपुर

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित अनौगी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने किसान भाइयों को एडवाइजरी जारी करते हुए बताया कि मौसम के हिसाब से फसलों की देखभाल बहुत जरूरी होती है।उन्होंने बताया कि बिन मौसम बरसात की वजह से मिट्टी में बहुत ज्यादा नमी आ जाती है।जिसके कारण कवक व जीवाणु जनित रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।साथ ही कीड़ों के आक्रमण की भी संभावना बढ़ती है। इसके अतिरिक्त मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।जिसके कारण फसलों में पीलापन, पत्ते मुड़ना, फसल का समय से पहले मुरझाना,फलों का परिपक्व अवस्था में ही गिरना, फलों पर अनियमित आकार के धब्बे हो जाना आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि कुछ कृषि कार्य करके फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है। डॉक्टर खान ने बताया की जल निकासी की उचित प्रबंधन के लिए फसल के किनारे एक फीट गहरी नाली खोद दें। ताकि पानी खेत में ज्यादा देर तक न ठहरे और जमीन जल्दी सूख जाए।उन्होंने सलाह दी है कि जहां मटर, गेहूं,जौं एवं हरी सब्जियां खेतों में खड़ी हैं आसमान साफ होने पर रोगों से बचाव के लिए 300 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। साथ ही फसलों में इल्ली कीट दिखाई देने पर 100 मिलीलीटर
लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरेंथानिलीप्रोल 9.3% जेड सी दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दें। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि बदलते मौसम में प्याज एवं लहसुन की फसल बहुत प्रभावित होती है। फसल के पत्ते पीले दिखाई देने लगते हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए कासुगामाईसिन 5%+ कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी 300 ग्राम प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना उपयोगी रहता है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि बदलते मौसम में फसलों की देखभाल कर अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते हैं।