पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल जी के जीवन पर एक नजर..

By | January 13, 2022

अटल बिहारी वाजयेपी का जन्म 25 दिसबंर, 1924 को गुलाम भारत के ग्वालियर स्टेट में हुआ, जो आज के मध्यप्रदेश का हिस्सा है. दिलचस्प बात ये है कि अटल बिहारी वाजयेपी का जन्म ठीक उसी दिन हुआ, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कांग्रेस पार्टी के पहली और आखिरी बार अध्यक्ष बने.

*अटल जी के अपनी कोई संतान नहीं*: अटल बिहारी वाजयेपी को अपनी कोई संतान नहीं है, लेकिन उन्होंने नमिता कौल को दत्तक पुत्री के तौर पर पाला पोसा है. उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल की शादी रंजन भट्टाचार्य से हुई है.

*तीन बार देश के पीएम रहे ‘भारत रत्न’ अटल*: बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल वाजपेयी पहली बार साल 1996 में देश के पीएम बने. दूसरी बार साल 1998 में पीएम बने और चुनाव में जीत के बाद तीसरी बार साल 1999 में पीएम बने और साल 2004 तक रहे. साल 2015 में मोदी सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा था.

*चार अलग-अलग राज्यों से बने सांसद*: साल 2001 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब अटल जी के दाएं घुटने का ऑपरेशन हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक बेहतरीन पीएम ही नहीं थे, बल्कि एक बेहतरीन सांसद भी थे. वाजपेयी 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे. वह उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात से सांसद रहे. उन्होंने साल 1991 से अपने आखिरी चुनाव तक यानि 2004 तक लखनऊ लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया.

*कवि के रूप में बनाना चाहते थे अपनी पहचान*: अटल बिहारी वाजपेयी देश में एक अच्छे कवि के रूप में जाने जाते हैं. एक बार उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह एक राजनेता के रूप में नहीं बल्कि एक कवि के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं.

*5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी पीएम*: वाजयेपी ऐसे अकेले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पूरा 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया. साल 1996 चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. राष्ट्रपति ने सबसे बड़ी पार्टी के नेता के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का न्योता दिया. पहली बार प्रधानमंत्री बने अटलजी विश्वास प्रस्ताव रखने के लिए खड़े हुए और भूल गए कि वो खुद प्रधानमंत्री बन चुके हैं. जैसे ही उन्होंने लोकसभा में खड़े होकर कहा, ‘प्रधानमंत्री जी’, वैसे ही पूरा सदन हंसी से गूंज उठा.

*पिता के क्लासमेट बनकर की कानून की पढ़ाई*: अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से एक साथ कानून की पढ़ाई की थी. इतना ही नहीं दोनों ने एक ही क्लास में दाखिला लिया था. दोनों को होस्टल में भी एक ही कमरा दिया गया था.

*साल 1942 में पहली बार हुए थे गिरफ्तार*: ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान साल 1942 में अटल बिहारी वाजपेयी को उनके बड़े भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था.

साम्यवाद को छोड़कर आरएसएस में हुए थे शामिल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने साम्यवाद के रूप में शुरुआत की थी, लेकिन बाद में बाबासाहेब आप्टे से प्रभावित होकर साल 1939 में आरएसएस से जुड़कर उन्होंने साम्यवाद को छोड़ दिया. साल 1947 में अटल आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गए.

*वाजयेपी जी का प्यार थीं राजकुमारी कौल*: अटल जी ने ज़िंदगी में इश्क भी किया, लेकिन जुबान पर इसका जिक्र तक नहीं किया. राजनीतिक गलियारों में भी उनकी खूबसूरत प्रेम कहानी का ज़िक्र बहुत कम ही हुआ. अटल बिहारी वाजयेपी का प्यार राजकुमारी कौल रही हैं और वो उनके साथ भी रहीं, लेकिन अपने प्यार को कोई पुख्ता नाम देने में अटल बिहारी वाजयेपी नाकाम रहे. खुद अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि वो अविवाहित हैं, लेकिन कुंवारा नहीं हैं.

*मास-मच्छी खाने के शौकीन थे अटल*: एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे अटल जी को मांस-मच्छी खाने का बहुत शोक था. वह प्रोन्स खाने के शौकीन थे. पुरानी दिल्ली का करीम होटल उनका पसंदीदा मांसाहारी होटल था.

*पिछले साल वोटर लिस्ट से कट गया था नाम*: पिछले साल लखनऊ की वोटर लिस्ट से अटल जी का नाम काट दिया गया था. वाजपेयी ने लगभग 17 सालों से अपने क्षेत्र में वोट नहीं दिया था. दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी पिछले कई वर्षों से अपने लखनऊ के पते पर नहीं रहे हैं. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक कोई व्यक्ति अपने पते पर छह महीने से ज्यादा नहीं रहता है तो उसका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाता है. वोटर लिस्ट में अटल जी का मकान नंबर 92/98-1 था. उनका वोटर क्रमांक 1054 था.

*पढ़ें- अटल जी की प्रसिद्ध कविता*: गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर, पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,झरे सब पीले पात,कोयल की कूक रात,प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं.गीत नया गाता हूं

*टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?*: अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा,रार नई ठानूंगा,काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं,गीत नया गाता हूं।

Leave a Reply