निजीकरण के मसौदे के विरोध में विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई में सम्मिलित होकर निजीकरण रद्द करने की मांग करेगी संघर्ष समिति

By | July 4, 2025

समाचार भारती के लिए लखनऊ से प्राची श्रीवास्तव की रिपोर्ट

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने निर्णय लिया है कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा विद्युत नियामक आयोग को भेजे गए निजीकरण के मसौदे के विरोध में संघर्ष समिति जन सुनवाई की सभी तारीखों पर नियामक आयोग के समक्ष आपत्ति दर्ज कराते हुए निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग करेगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने आज यहां जारी बयान में कहा कि अवैधानिक ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा तैयार किए गए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का पूरा मसौदा असंवैधानिक है।
संघर्ष समिति ने निजीकरण के मसौदे पर बिंदुवार आपत्तियां तैयार करने के लिए एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन किया है। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी जनसुनवाई के दौरान सभी शहरों में उपस्थित रहेंगे और निजीकरण के विरोध में हर जगह आपत्ति दर्ज की जाएगी और निजीकरण निर्णय रद्द करने की मांग की जाएगी।संघर्ष समिति ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग 07 जुलाई को लखनऊ में, 09 जुलाई को केस्को में, 11 जुलाई को वाराणसी में, 15 जुलाई को आगरा में ,16 जुलाई को ग्रेटर नोएडा में और 17 जुलाई को मेरठ में सुनवाई करने वाला है। इन सभी बैठकों में सुनवाई के दौरान संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
संघर्ष समिति ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि किस बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 में भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया था जिस पर आपत्तियां मांगी गई थी। बिजली इंजीनियरों ने भी उस पर आपत्ति की थी। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने इस ड्राफ्ट बिडिंग डॉक्यूमेंट को आज तक फाइनल नहीं किया है।
अब बताया जा रहा है कि अप्रैल 2025 में कोई नया स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 का ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है जो न तो पब्लिक डोमेन में है और न ही राज्यों के पॉवर कारपोरेशन को अभी तक सर्कुलेट किया गया है। सवाल है लाखों करोड़ों रुपए की परिसंपत्तियों को निजी घरानों को बेचा जा रहा है और जिस बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर बेचा जा रहा है उसी को गोपनीय रखा जा रहा है। इससे साफ है कि बिजली के निजीकरण के पीछे बड़ी लूट होने वाली है।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 218 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। आज विरोध प्रदर्शन के दौरान निजीकरण का विरोध कर स्वेच्छा से जेल भरो आंदोलन में सम्मिलित होने वाले कर्मचारियों की सूची बनाया जाना प्रारंभ हो गया है। संघर्ष समिति ने निर्देश दिया है कि तीन दिन के अंदर सभी जनपदों से जेल भरो आंदोलन में स्वेच्छा से सम्मिलित होने वाले कर्मचारियों की कम से कम सात दिन तक जेल भरो अभियान की योजना बनाकर सूची तैयार कर ली जाए।
आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।