
रिपोर्ट-इशिका सिंह
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) हिंदी या अंग्रेजी में है। आम लोगों के लिए कानूनी धाराओं को समझना आसान नहीं है। इसलिए गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सुरक्षा और विधि विभाग के सीनियर प्रो. डॉ आनंद कुमार त्रिपाठी ने इसे चौपाई में पिरोया है।
(फाइल फोटो)
त्रिपाठी ने आईपीसी के सभी 23 चैप्टर की 511 धाराओं को चौपाई में तैयार किया। साथ ही, इसका पेटेंट भी करवाया है। प्रो. त्रिपाठी बताते हैं कि उन्होंने कोरोना महामारी में यह लेखन शुरू किया था। इसके लिए 700 दिन तक हर रोज 8 घंटे का वक्त दिया।
(फाइल फोटो)
700 दिन में हर रोज 8 घंटे मेहनत करके आईपीसी की चाैपाई तैयार की, पेटेंट लिया
शुरुआत -23 अध्याय में आईपीसी समाई। हर अपराध का समाधान है लाई।
- धारा- 54 समुचित सरकार को है अधिकारा। मृत्यु दंडादेश का लघुकरण विचारा।
- धारा-55 मरते दम तक जब हो कारावासा।वह कहलाये आजीवन कारावासा।
- धारा-99 चाहे हो स्वस्थ या कोई विकारा (मंदबुद्धि)। सब के विरुद्ध है स्व-बचाव अधिकारा।
- धारा-5 कुछ विधियों पर आईपीसी प्रभाव नहीं डालेगानहीं कोउ प्रभाव पड़े अन्य विधियों के साथ,है अद्भुत आईपीसी सदा बढ़ाए हाथ।
- धारा- 499/500 करता जो अन्य व्यक्ति मानहानि।दो वर्ष जेल या जुर्माना जानी ।
- धारा- 494 पूर्व विवाह का राज छुपाई।फिर औरहु विवाह रचाई।
- धारा- 494 पति या पत्नि पुनर्विवाहा।सात बरस जेल या जुर्माना चाहा।