मनीष गुप्ता,एडिटर इन चीफ़, समाचार भारती
जीवन में कभी-कभी आपकी आंखें उम्र से पहले ही कुछ ऐसे दृश्यों को देख लेती हैं जो फिर जहां से कभी निकल नहीं पाती हैं।
और एक दृश्य आपके जीवन में क्या प्रभाव डालेगा इसका अंदाजा कोई नहीं लग सकता है।
ऐसे ही बचपन में आते जाते चहल कदमी करते रास्तों में हमारी निगाह अक्सर पड़ जाती थी । रिक्शे पर सफेद कफन जिसे बचपन में चादर के नाम से जानते थे , में लिपट्टी लावारिस शव जो की मोर्चरी से गुलाला घाट अंतिम संस्कार के लिए जा रहे होती थी ।
उस वक्त वह सफेद चादर कफ़न होता था किसे पता था।
पुतला जैसा दिखाई दे रहा वह शव होता था किसे पता था।
उस चादर में लिपटा कोई लावारिस व्यक्ति होगा किसे पता था।
वह अपनी अंतिम यात्रा में रिक्शे पर लद कर जा रहा है किसे पता था।
उत्सुकता वश पता करने पर , सवाल उठाने पर लोगों द्वारा बताया गया सफेद कफन में लिपटे , रिक्शे पर लदे लावारिस शव के
अंतिम सफर की यात्रा का सच!
ऐसे शवों के लिए क्या किया जा सकता है मेरे पास सोर्सेस क्या है कहां परमिशन लेनी है कैसे इस कार्य को अंजाम देना है परीक्षा फल से अनजान किस क्षेत्र में मेहनत करनी यह भी नहीं पता था परंतु एक बात सिर्फ थी दिमाग में और जहां में कि इनके लिए कुछ करना है ।
दृढ़ निश्चय से आप किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं ऐसा मेरा अडिग विश्वास है।
मंजिल ना पता होने के बावजूद कभी लंबे रास्ते से घबरा कर हार नहीं मानी अंजाम आप सभी के सामने हैं।
हमारा लखनऊ से वादा है कि जब तक हमारे कंधे साथ हैं कोई भी व्यक्ति लावारिस नहीं कहलाएगा।
ऐसे ही किसी वास्तविक सेवा के लिए संपर्क कर सकते हैं
संपर्क सूत्र
वर्षा वर्मा
8318193805
