
(रिपोर्ट- अदिति मिश्रा)
ईवीएम हटाओ, देश बचाओ आंदोलन एक राजनीतिक मुद्दा है जो भारत में लोकतंत्र की निष्पक्षता को लेकर चिंताओं को लेकर उभर रहा है। कई राजनीतिक दलों और आम जनता का मानना है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल चुनावों में धांधली करने के लिए किया जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर कई बार आंदोलन भी हुए हैं।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट के कुछ अधिवक्ताओं ने ईवीएम को हैंक करने का दावा करने वाली टीम चुनाव आयोग से मांग रही 50-50 मशीने। इन अधिवक्ताओं का कहना है कि अगर चुनाव आयोग ईवीएम को हैंक करने की क्षमता को लेकर गंभीर है, तो उसे इन मशीनों को इन अधिवक्ताओं को सौंप देना चाहिए। इन अधिवक्ताओं का मानना है कि अगर ईवीएम को हैक किया जा सकता है, तो यह देश के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
इसके अलावा, ईवीएम का विरोध करने वाले लोगों ने देश स्तर से लेकर प्रदेश, जिला एवं गांव स्तर पर टीम गठित करने की घोषणा की है। इन लोगों का कहना है कि वे किसी भी सूरत में ईवीएम से चुनाव न संपन्न कराया जाए इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इस आंदोलन की सफलता की संभावनाएं अभी स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, अगर यह आंदोलन सफल होता है, तो यह भारत के चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
इस आंदोलन की सफलता की राह में कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती है कि इस आंदोलन को लेकर आम जनता में जागरूकता पैदा करना। इसके अलावा, इस आंदोलन को राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिलना चाहिए। अगर इस आंदोलन को राजनीतिक दलों का समर्थन नहीं मिलता है, तो यह आंदोलन सफल नहीं हो सकता है।
इस आंदोलन की सफलता के लिए यह भी जरूरी है कि इस आंदोलन के नेतृत्व में एक मजबूत नेतृत्व हो। अगर इस आंदोलन के नेतृत्व में एक मजबूत नेतृत्व नहीं होता है, तो यह आंदोलन भटक सकता है और सफल नहीं हो सकता है। कुल मिलाकर, ईवीएम हटाओ, देश बचाओ आंदोलन एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। इस आंदोलन की सफलता से भारत के चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। हालांकि, इस आंदोलन की सफलता की संभावनाएं अभी स्पष्ट नहीं हैं।