
वरिष्ठ संवाददाता प्रकार बिष्ट के साथ चीफ फोटो जर्नलिस्ट पंकज जोशी की रिपोर्ट……
होली मिलन समारोह : आज सांय विपुल खंड स्थित मनाया गया.
होली का आध्यात्मिक अर्थ स्पष्ट करते हुए राजयोगिनी राधा दीदी जी ने स्पष्ट किया कि पहले होली को जलाया जाता है फिर मनाया जाता है. जलाने में हमेशा ऐसी चीज जलाई जाती हैं जिनकी आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं है. तो यह तो एक प्रतीकात्मक पर्व है, वास्तव में हमें अपने अंदर की कमी कमजोरी और उन बुरे संस्कारों को जिनसे कि हम छुटकारा पाना चाहते हैं, जो हमारे स्वस्थ और सशक्त जीवन में बधाएं हैं, उन सब कमी कमजोरी और संस्कारों को जलाना है.
इसी तरह होली में रंग लगाने और होली मिलन का आध्यात्मिक अर्थ संस्कार मिलन मनाने से है जिससे हम सबके बीच में एक हारमोनियस, एक सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित हो और हमसब एक प्रेमपूर्ण समाज की ओर हम अग्रसर हो सकें. इसके लिए आवश्यकता है कि हम एक दूसरे को अपने प्रेम पूर्ण रंगों से, अपने अच्छे स्वभाव, चाल-चलन के रंग से दूसरों को सराबोर कर सकें.
होली का दूसरा अर्थ है हो-ली अर्थात जो बात भी गई, उसको भूल जाए. यह कहना तो बहुत आसान है लेकिन आज के जीवन में व्याप्त तनाव, निराशा, चिंता, क्रोध और हिंसा के जो माहौल है वह इन्हीं सब पुरानी बातों के गिले शिकवे हैं जो हमारे मन को लगातार परेशान करते रहते हैं और हम उनसे छुटकारा नहीं पा पाते. तो यह होली का त्यौहार हमें सिखाता है कि हम योग के माध्यम से पुनः अपने अंदर की वास्तविक सत्ता का साक्षात्कार कर सकें जो सदैव शांति खुशी और प्रेम की आत्मिक शक्ति से भरपूर रहती है. जो व्यक्तित्व अपने आत्मिक स्वभाव में स्थित रहता है, वह स्वयं में इतना भरपूर रहता है, इतना मगन और मस्त रहता है कि उसको दूसरों की कही हुई बातें प्रभावित ही नहीं कर पाती हैं. यह संसार तो उसको एक नाटक की तरह ही लगता है. इसका यह अर्थ नहीं है कि वह अपने दैनिक जीवन की जिम्मेदारियां को भूल जाता है वरन अपनी सभी जिम्मेदारियां पहले से भी अच्छे से निभा पता है क्योंकि दिल और दिमाग हल्का, व्यर्थ के विचारों से भरा हुआ नहीं रहता है. ऐसा न्यारा और प्यार जीवन कैसे जिया जा सकता है, यह हम राजयोग के माध्यम से सीख सकते हैं. तत्पश्चात ‘मीठी’ द्वारा प्रस्तुत होली नृत्य ने बड़ी संख्या में उपस्थित आगंतुकों का मन मोह लिया. अंत में राजयोगिनी स्वर्णलता दीदी द्वारा राजयोग का अभ्यास कराया गया.
ज्ञातव्य हो कि विश्व के लगभग 130 देशों में फैले हुए 9000 सेवा केंद्रों के विशाल नेटवर्क के द्वारा, ब्रह्माकुमारीज राजयोग प्रशिक्षण केंद्रों पर राजयोग का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.