
ब्यूरो रिपोर्ट (समाचार भारती)
मऊ, उत्तर प्रदेश – सितंबर 2023 में, 30 वर्षीय महिला को गर्भावस्था के नवें सप्ताह में बहुत बड़े फाइब्रॉएड के साथ मऊ से केजीएमयू क्वीन मैरी रेफर किया गया था। फाइब्रॉएड इतना बड़ा था कि 2.5 महीने की गर्भावस्था में पेट 6 महीने की गर्भावस्था जैसा दिख रहा था।
एंटीनेटल मायोमेकटॉमी:
18 सप्ताह की गर्भावस्था में, एनामली स्कैन के बाद, मरीज की एंटीनेटल मायोमेकटॉमी (गर्भावस्था के दौरान फाइब्रॉएड को हटाने की प्रक्रिया) की गई। यह ऑपरेशन डॉ. एसपी जयसवाल, डॉ. सीमा मेहरोत्रा, डॉ. पुष्पलता संखवार, और डॉ. मंजू लता वर्मा की टीम द्वारा किया गया था। एनेस्थेटिस डॉ. रमेश रमन और सिस्टर इंचार्ज ममता यादव ने भी सहयोग दिया।
सफल ऑपरेशन और स्वस्थ बच्चे का जन्म:
ऑपरेशन के बाद 171412 सेमी आकार का फाइब्रॉएड निकाला गया, जो गंभीर दर्द का कारण था। डाक्टरों की निगरानी में देखभाल के बाद, 38वें सप्ताह में मरीज ने 3.5 किलोग्राम के स्वस्थ बच्चे को नार्मल डिलेवरी से जन्म दिया। मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
केजीएमयू क्वीन मैरी की सफलता:
यह एक अद्भुत उपलब्धि है और केजीएमयू क्वीन मैरी की डॉक्टरों की टीम को बधाई दी जाती है। मां और परिवार वालों ने डॉक्टरों और स्टाफ का धन्यवाद किया।
यह मामला महत्वपूर्ण क्यों है:
- गर्भावस्था के दौरान फाइब्रॉएड को हटाना एक जटिल प्रक्रिया है और भारत में यह बहुत कम मामलों में ही किया जाता है।
- यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारत में भी उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- यह मरीजों और उनके परिवारों को आशा देता है कि जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का भी सफलतापूर्वक इलाज संभव है।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:
- गर्भावस्था के दौरान फाइब्रॉएड को हटाने का निर्णय कई कारकों पर आधारित होता है, जैसे कि फाइब्रॉएड का आकार, संख्या और स्थान, गंभीर दर्द और फाइब्रॉएड के आकार में तेजी से वृद्धि।
- यह प्रक्रिया केवल अनुभवी डॉक्टरों द्वारा ही की जानी चाहिए।
मां और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यह एक महत्वपूर्ण सफलता है।