मनीष गुप्ता editor-in-chief समाचार भारती
जब कोई बच्चा इस धरती पर जन्म लेता है न जाने कितनों के लिए खुशियों का वजह़ होता है।
जिस परिवार में वह जन्म लेता है मिठाइयां बांटी जाती है उस परिवार में खुशियां मनाई जाती है पूजा पाठ होता है। समय और कर्म आपको कहां ले जाते हैं यह आपको भी नहीं पता होता है। बच्चा धीरे-धीरे खेलते कूदते बड़ा होता है फिर जीवन के संघर्षों से लड़ता भरता अपना एक परिवार बनाता है पेट पालने के लिए खुद का और अपने परिवार का कुछ काम करता है उसी जीवन को यापन करते करते न जाने कितने आप अच्छे कर्म कर जाते हैं और जाने अनजाने न जाने कितने बुरे कर्मों के भी भागीदार हो जब बन जाते हैं आप उन्हीं कर्मों के चक्र से कुछ लोगों का अंत समय बिना संघर्ष के कट जाता है तो कुछ लोगों को कंधे भी नहीं नसीब होते हैं। कहते हैं आप कर्म करते जाइए और फल की इच्छा ना करिए।
फल क्या है!
मैं कोई ज्ञानी नहीं परंतु मुझे लगता है यदि आप अपना जीवन अपने परिवार अपने मित्रों के साथ ठीक-ठाक बिता रहे हैं यही फल है।
आपकी खुशियों में आपके साथ 10 लोग हैं इसके विपरीत आपके दुख में आपके साथ 20 लोग हैं यही फल है।
आप कम में भी खुश हैं, आज ये , फिर यह मिल जाने पर वो , फिर वह मिल जाने पर कोई दूसरी वस्तु इस के चक्कर में नहीं है । तो यह फल है।
आदि आदि
आज की सेवा में एक वह महिला थी जिसने एक समय में अपने परिवार को पाला था अपने हाथ से खाना बनाकर घर को संभाला था परिवार को बड़ा किया था आज अंत समय में लंबी बीमारी के बाद जब वो खत्म हुई तो वह अकेली थी ????
खुशी है कि प्रभु ने हमें चुना , ना सिर्फ माताजी की अंतिम यात्रा के हम साक्षी बने ।बल्कि उन्हें कंधा देकर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भी निर्वहन किया, ????????
ऐसी किसी वास्तविक सेवा के लिए संपर्क कर सकते हैं संपर्क सूत्र वर्षा वर्मा 831 819 3805
